देव पुराण के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी सदैव तप में लीन रहती है इसलिए इनका तेज बढ़ने से रंग सफेद बताया गया है
देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती है इनकी पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं
सफेद रंग से शोभित माता ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में अक्षमाला व दूसरे हाथ में कमंडल विराजमान है
माता ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति का प्रतीक है इनकी आराधना से भक्तों की तप करने की शक्ति बढ़ जाती है
माता ने महर्षि नारद के परामर्श पर अपने जीवन में महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी
हजारों वर्षों की कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी रखा गया
माता ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती है कि बिना तपस्या किए सफलता पाना संभव नहीं है
उपवास के बाद माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है जिससे घर के सभी सदस्यों की आयु बढ़ती है।
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा क्यों की जाती है ?
माता शैलपुत्री