माता दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है नवरात्र में उनकी पूजा का अत्यधिक महत्व होता है

10 भुजाओं वाली माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है

शेरों पर सवार मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए चंद्रघंटा रूप धारण किया था

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता की उत्पत्ति त्रिदेवों के मुख से निकली एक ऊर्जा से हुई थी

देवी चंद्रघंटा को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल विष्णु जी ने अपना चक्र  व सूर्य ने अपना तेज प्रदान किया था

माता के घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेत बाधा से बचाती है इनकी उपासना भक्तों को निर्भय और पराक्रमी बनाती है

माता को दूध या उससे बने पकवान का भोग लगाने से भक्तों की दुख से मुक्ति और परम आनंद की प्राप्ति होती है

कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए माता चंद्रघंटा का मणिपुर चक्र में ध्यान किया जाता है। 

नवरात्रि के दूसरे दिन होती है माता ब्रह्मचारिणी की पूजा