नवरात्र में माता दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है, जो सुहाग की देवी मानी जाती है। 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण माता का नाम कात्यायनी रखा गया। 

सर्वप्रथम ऋषि कात्यायन ने ही माता की 3 दिनों तक पूजा की थी, जिसके बाद माता ने महिषासुर का वध किया 

देवी कात्यायनी की सुंदरता को देखकर महिषासुर मनमोहित हो उठा और माता के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। 

माता ने शर्त रखी कि युद्ध में जीतने पर ही वे विवाह करेगी इस तरह कात्यायनी देवी ने युद्ध कर महिषासुर का अंत किया। 

कात्यायनी ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री देवी है, ब्रज की कन्याएं श्री कृष्ण का प्रेम पाने के लिए प्रतिदिन देवी को पूजती थी

श्री कृष्ण ने भी माता की पूजा की है माता कात्यायनी की पूजा से वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर होती है। 

माता को मीठा पान प्रिय है उन्हें प्रसाद के रूप में फल और मिठाई के साथ शहद लगा पान का भोग लगाएं। 

भारत का ऐसा मंदिर जहां त्यौहार में पुरुषों का जाना वर्जित है।