महा अष्टमी को नवरात्रि के सबसे विशेष दिन के रूप में माता पार्वती की पूजा करी जाती है।

माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को पाने के लिए हजारों वर्षों की कठिन तपस्या की थी

 जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया था

घोर तपस्या के कारण हुए माता के काले वर्ण को भगवान शिव ने गंगा स्नान कराके गौर वर्ण में बदल दिया था

अत्यंत शांत मुद्रा वाली चारभुजा माता गौरी शेर और बैल दोनो की सवारी करती है 

देवी के दो हाथों में वरमुद्रा एवं अभयमुद्रा तथा अन्य दो हाथों में त्रिशूल व कमल का पुष्प सुशोभित है

महाअष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए देवी को चुनरी भेंट करती है

महा अष्टमी के दिन माता को काले चने, नारियल व नारियल से बने पकवान का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती है

आदिशक्ति माता गौरी का वर्ण अत्यधिक गोरा होने के कारण, इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।

माता शक्ति के सबसे उग्र रूप देवी कालरात्रि के बारे में आप क्या जानते है।