अयोध्या में बन रहे प्रभु श्री राम मंदिर को 1000 वर्ष तक किसी भी प्रकार के मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
इसका मुख्य कारण तीन मंजिला मंदिर की 40 फीट गहरी नींव में स्टील और सीमेंट का प्रयोग न करना है।
इस मंदिर की नींव को भरने के लिए जिस मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है वह 28 दिनों में पत्थर में बदल जाती है।
यही कारण है कि नागर शैली में बन रहे इस मंदिर को 6.5 का मेग्नीट्यूड वाला भूकंप भी नहीं दिला सकता।
मंदिर में राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पिक सेंट स्टोन और कार्ड मार्बल का उपयोग किया गया है।
इतिहास में भी इन पत्थरों की सहायता से लाल किला और फतेहपुर सीकरी का निर्माण संभव हो पाया था।
22 जनवरी को गर्भ ग्रह में प्राण प्रतिष्ठा के पास 27 जनवरी की सुबह से आम लोगों को रामलला के दर्शन हो सकेंगे।
श्री राम मंदिर अयोध्या के बारे में सम्पूर्ण जानकारी !
श्री राम मंदिर
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