12th fail DIG Manoj Sharma
12th fail DIG Manoj Sharma : विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह फिल्म 27 अक्टूबर को रिलीज की गई, जिसे IMDB ने 10 में से 9 की रेटिंग दी है। यह फिल्म हर उस इंसान को देखना चाहिए जिसने कभी अपनी क्षमता से अधिक पाने का सपना देखा हो। IPS मनोज शर्मा के जीवन पर बनी फिल्म ने कमाई के मामले कंगना रनौत की तेजस को पीछे छोड़ दिया है।
यह कहानी वर्ष 1997 में चम्बल के एक छोटे से गाँव से शुरू होती है। मनोज शर्मा जो कि पढ़ाई में कमजोर छात्र है, वह आज 12वी कक्षा में गणित के पेपर के लिए चिट तैयार कर रहा है, हालांकि उसे ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि स्कूल के मास्टरजी सभी बालकों का बराबर रूप से ध्यान रखते हुए ब्लाकबोर्ड पर पेपर हाल कर देते है, और प्रत्येक विद्यार्थी अच्छे नंबर से पास हो जाते है स्कूल में यह रीत जमाने से चली आ रही है। पर मनोज परीक्षा को लेकर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहता, इसलिए वह व्यक्तिगत रूप से अपनी परीक्षा का इंटेजम करने में लगा हुआ है।
लेकिन मनोज की किस्मत में ऊपर वाले ने कुछ और ही लिख रखा था। इतने अच्छे स्तर पर परीक्षा की तैयारी करने के बाद भी मनोज की ट्रेन पटरी पर से उतर जाती है और मनोज की यह योजना विफल हो जाती है। यह सब हुआ एक पुलिस अधिकारी के स्कूल में आने के कारण। स्कूल में पहली बार कोई अधिकारी परीक्षा की चेकिंग करने आया और परीक्षा व्यवस्था को देखकर काफी नाराज हुआ। उसने मास्टर जी को फटकार लगाई और गिरफ्तार भी किया। जिसके कारण कोई भी विद्यार्थी नकल नहीं कर पाया और परिणाम स्वरूप सभी परीक्षार्थी फेल हो गए जिनमे मनोज भी शामिल था।
12th fail DIG Manoj Sharma : लेकिन आज मनोज के मन उस पुलिस अधिकारी की छवि बैठ गई। उसके मन में यह जानने की बेहद उत्सुकता उत्पन्न हुई कि यह ऐसा कौन स अधिकारी है, जिसके पास इतनी शक्ति है कि ये किसी भी इंसान को फटकार लगा सकता है, उसे गिरफ्तार कर सकता है तथा जिसका कोई विरोध भी नहीं कर रहा और उस समय वह लालबत्ती में घूम रहा है। मनोज अब तय कर लेता है कि भविष्य में वह भी ऐसा ही अधिकारी बनेगा।
काफी खोजबीन के बाद मनोज को यह पता चलता है कि वह एक IPS अधिकारी था और हमारे देश में IPS बनने के लिए UPSC नामक परीक्षा में पास होना पड़ता है। और UPSC को विश्व की कठिनतम परीक्षाओं में से एक माना जाता है। अब मनोज के लिए यह बड़ा गंभीर विषय था। क्योंकि जो छात्र बारहवी की परीक्षा में फेल हो गया वह UPSC कैसे पास करेगा।
हालांकि मनोज के पिता एक निलंबित शिक्षक है जिनका मार्गदर्शन मजबूत है और वे जीवन की राह में सदैव मनोज का साथ देते है। अब मनोज अपना समान बांध UPSC का सफर तय करने निकल पड़ता है दिल्ली की ओर। ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उसकी मुलाकात प्रीतम पांडे नाम के व्यक्ति से होती है रास्ते में मनोज का सामान और कुछ पैसे चोरी हो चुके हैं और वह भूखा है। उसकी हालत देखकर प्रीतम उसे खाना खिलाता है। प्रीतम के ही द्वारा मनोज को UPSC की परीक्षा और उसके सपने को साकार करने की व्यापक जानकारी भी मिलती है।
12th fail DIG Manoj Sharma : दोनों महत्वाकांक्षी युवक अब दिल्ली की ओर निकल चलते है, जहां यूपीएससी अभ्यर्थी की भरमार है। IAS कोचिंग के गढ़ में मनोज और प्रीतम की मुलाकात गौरी भैया से होती है, जो दिल्ली में अब अपने अंतिम प्रयास के परिणाम का इंतेजार कर रहे है। गौरी उन सभी छात्रों की मदद करता है जो खाली जेब, बड़े सपने और अटूट धैर्य के साथ इस व्यापक परीक्षा की अग्नि में दहन होने आए है। अब धीरे-धीरे मनोज को अपने सपने का रास्ता स्पष्ट रूप से दिखने लगता है।
वह यूपीएससी के संघर्ष में पूरी तरह डूब जाता है। पड़ोस की लाइब्रेरी में मनोज सफाईकर्मी के रूप में काम करता है और कभी-कभी वहीं सो जाता है अपने मित्र एवं सलाहकार गौरी भैया की दुकान में मदद करता है, चक्की में गेहूं पीसता है और मेहनत करके प्रतिदिन अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करता है। इस बीच मनोज को कई अर्चनों का सामना पड़ता है, पर वो अपने अंदर की आग को काम नहीं होने देता है।
मनोज शर्मा के जीवन पर आधारित यह कहानी हमें संदेश देती है कि हर व्यक्ति की सफलता के पीछे उसकी कड़ी मेहनत और न टूटने वाला धैर्य होता है। अगर इंसान लगन के साथ समर्पण की भवन से कोई कार्य करता है तो एक न एक दिन वह जरूर सफल होता है।
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