EKATMA DHAM OMKARESHWAR
एकात्म धाम का निर्माण
खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकार पर्वत के 28 एकड़ के क्षेत्र में एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। 2000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस एकात्म धाम में जगद्गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसे “Statue of Oneness” कहा जाएगा। Ekatma Dham में इसके अतिरिक्त आध्यात्म केंद्र, अद्वैत वेदान्त केंद्र एवं नर्मदा विहार आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहेंगे।
Table of Contents
वर्ष 2017-18 में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विचार आया कि, जहां आदिगुरु शंकराचार्य ने अपने गुरु गोविंदभगवापद से 4 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण किया और 12 वर्ष की उम्र में ओंकारेश्वर से ही समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए अखंड भारत की विशाल यात्रा प्रारंभ कर अद्वैत वेदान्त दर्शन का प्रचार-प्रसार किया, ऐसी पावन भूमि पर भगवान शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। जिससे एकात्मा के भाव का संदेश सम्पूर्ण विश्व को दिया जा सके, और मनुष्यों के बीच व्याप्त आपसी दूरियाँ समाप्त हो सके।
गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण
28 एकड़ के क्षेत्र में बन रहे इस “Ekatma Dham” में 15-18 सितंबर तक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन देश के महान संतों द्वारा किया जा रहा है, जिसके पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर को ही इस भव्य विशाल प्रतिमा का अनावरण करेंगे। 2000 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे इस धाम का शेष कार्य दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। काशी में भगवान विश्वनाथ कॉरीडोर, उज्जैन में महाकाल लोक के बाद यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर प्रोजेक्ट है।
आचार्य शंकराचार्य के बाल रूप में लगने वाली 108 फीट की प्रतिमा निर्माण के लिए एकात्म यात्रा द्वारा मध्यप्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों से धातु, मिट्टी, बांस और जल एकत्रित किया जा रहा है। इस विशालकाय “Statue of Oneness” को महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मूर्तिकार भगवान रामपुर ने गढ़ा है, जिसका निर्माण कार्य LNT कंपनी के द्वारा किया जा रहा है। एकात्म धाम में बन रहे मंदिर की स्थापत्य शैली पूर्ण रूप से भारतीय होगी, जिसमे उत्तर से लेकर दक्षिण भारतीय मंदिरों की शैली का समावेश होगा।
Ekatma Dham से सबंधित अन्य निर्माण
में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अतिरिक्त उनसे जुड़ी चित्रकलाएं, अद्वैत लोक, अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान, नर्मदा विहार, अभयघाट, सन्यास गुफा, अन्नपूर्णा मंदिर, पंचायत मंदिर का निर्माण किया जायेगा। साथ ही शिक्षा के लिए गुरुकुल, 36 हेक्टेयर क्षेत्र में अद्वैत वन विकसित किए जा रहें हैं। ज्ञान भूमि ओंकारेश्वर में आचार्य श्री के सिद्धांतों एवं अद्वैत वेदान्त का दर्शन व उनके जीवन पर आधारित 3D फिल्म “सृष्टि” पर्यटकों को आकर्षित करेगी।
विशेषता
आचार्य भगवान जिनके कारण भारत का आज ये स्वरूप है, मध्यप्रदेश का परम सौभाग्य है कि सनातन वैदिक धर्म के पुनरुद्धारक शंकराचार्य की प्रतिमा ओंकारेश्वर की पुण्य धरा पर स्थापित हो रही है। ओंकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है, यह स्थान अपनी भव्यता और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, जो हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार बना हुआ है। यहाँ दो प्रसिद्ध मंदिर हैं- ओंकारेश्वर व ममलेश्वर। मध्यप्रदेश के साथ ही सम्पूर्ण राष्ट्र तथा विश्व के लिए यह महत्वपूर्ण क्षण है। इस एकात्म धाम से सम्पूर्ण विश्व के मानव समाज का कल्याण होगा। इससे विश्वप्रेम, सद्भाव और अद्वैत का संदेश दिया जायेगा।
“Ekatma Dham” परिसर जीरो वेस्ट होगा यहाँ कचरे को रिसायकिल किया जायेगा और यह बनने वाले गुरुकुल भी पूर्व भारतीय गुरुकुल के समान लकड़ी, पत्थर से बनेंगे जिससे पर्यटन आकर्षित होगा। “विश्वप्रेम सद्भाव और अद्वैत का दे रहा संदेश, एकात्मकता का वैश्विक केंद्र बन रहा अपना मध्यप्रदेश”।
आदिगुरु शंकराचार्य का जीवन परिचय
जन्म | केरल के कलादी ग्राम (788 ई.) |
पिता | शिवगुरु |
माता | श्रीमती आर्याम्बा |
जाति | नाबुदारी ब्राम्हण |
गुरु | गोविंदभगवातपद |
प्रमुख उपन्यास | अद्वैत वेदान्त |
मठ | 4 (ज्योति पीठ, शृंगेरी पीठ, शारदा पीठ, गोवर्धन पीठ |
मृत्यु | 820 ई. |
हमारे Whatsapp | Telegram चैनल से जुड़ें।