Magnetic Levitation Train INDIA : जापान-चीन के बाद अब भारत में भी दौड़ेंगी 800 km/h से अधिक रफ्तार वाली ट्रेन !!

“Magnetic Levitation Train INDIA”

 

Magnetic Levitation Train INDIA –

जापान और चीन के बाद अब भारत में भी हवा में चलने वाली (चुंबक के माध्यम से) मैग्लेव ट्रेन नजर आ सकती है मैग्लेव शब्द मैग्नेटिक लैविटेशन से जुड़कर बना है यह ट्रेन पटरी के बजाय हवा में रहती है इसलिए मैग्नेटिक फील्ड (चुंबकीय प्रभाव क्षेत्र) से नियंत्रित की जा सकती है।

भारत में मैगलेव ट्रेन के विकास के लिए इंदौर शहर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (RRCAT) ने एक प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया है जिसे अब भारतीय सरकार की मंजूरी मिलना बाकि है 600 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति वाली इन ट्रेनों को देश में दिल्ली से मुंबई, मुंबई से हैदराबाद और हैदराबाद से बेंगलुरु तक चलाने के विषय में विचार चल रहे हैं।

 

मेगलेव ट्रेन क्या है? 

Magnetic Levitation Train INDIA : मैग्लेव शब्द की उत्पत्ति मैग्नेटिक लैविटेशन से हुई है जिसका अर्थ चुंबकीय उत्तोलन होता है मैग्लेव एक ऐसी ट्रेन है जिसमें पहियों के साथ भारी क्षमता वाली चुंबकों का प्रयोग किया जाता है यह चुंबक ट्रेन के साथ ट्रैक पर भी लगे होते हैं जब ट्रेन 180 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है तब उसमें मैग्नेटिक फील्ड को उत्पन्न कर दिया जाता है जिससे ट्रेन पटरी से संपर्क तोड़कर पूर्ण रूप से हवा में जाती है और फिर आसानी से 500 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की स्पीड पकड़ लेती है।

Magnetic Levitation Train in India in night
Maglev train of China

कार्यप्रणाली

चुंबक के मध्यम से हवा में चलने वाली इस रैन की कार्यप्रणाली की मायनों में अलग है –

  • लेविटैशन सिस्टम – ट्रेन को पटरी से ऊपर उठने की तकनीक
  • प्रोपल्सन सिस्टम – ट्रेन को आगे/पीछे करने व ब्रेक लगाने से संबंधित तकनीक
  • गाइडेंस सिस्टम – पटरी से ऊपर उठने के बाद ट्रेन को  दाएं-बाएं घूमाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली तकनीक
  • कंट्रोल सिस्टम – ट्रेन की गति के साथ ट्रेन व उसके ट्रैक के बीच की दूरी को नियंत्रित करने वाली तकनीक
  • पावर सिस्टम – अत्यधिक वजनी ट्रेन को चुंबक के माध्यम से उठाने के लिए ट्रैक पर स्पर्श रहित तरीके से विद्युत प्रदान करने की तकनीक

 

जापान और चीन के पास है मैग्लेव ट्रेन की उन्नत तकनीक

विश्व में सबसे पहले किफायती मूल्य पर मैग्लेव ट्रेन को बनाने व उसे चलाने का श्रेय जापान को दिया जाता है जापान ने वर्ष 1979 के समय ही मियाजाकी ट्रैक पर 517 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मैग्लेव ट्रेन का परीक्षण कर गिनीज बुक के वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कर लिया था वर्तमान समय में सबसे अधिक रफ्तार वाली ट्रेन का रिकॉर्ड चीन के पास है जो साल 2023 के शुरुआती समय में बनाया गया। चीन ने 600 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक रफ्तार वाली मैग्लेव ट्रेन का सफल परीक्षण कर लिया है।

Magnetic Levitation Train of Japan
Maglev train Station

भारत में मैग्लेव ट्रेन की आवश्यकता

भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है और यहां के सभी इलाकों में मध्यम आर्थिक स्तर वाली जनसंख्या निवास करती है ऐसे में देश के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में सफर करना मुश्किल हो जाता है हालांकि हमारे यहां यातायात के साधन पहले से ही मौजूद है पर मैग्लेव ट्रेन भारत के यातायात में एक अहम भूमिका निभा सकती है।

देश में जनसंख्या के अतिरिक्त प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है जो मैग्लेव ट्रेन के आने से नियंत्रित किया जा सकेगा। सूत्रों के अनुसार भाजपा सरकार चंडीगढ़ से दिल्ली, नागपुर से मुंबई, हैदराबाद से चेन्नई व चेन्नई से बेंगलुरु के बीच मेगलेव ट्रेन को चलाने की योजना बना रही है हालांकि यह विचार अभी प्रस्ताव अधीन है जिसे अमल होने में कई वर्षों का समय लगेगा।

 

मैग्लेव ट्रेन का निर्माण 

Magnetic Levitation Train INDIA : मैग्नेटिक लैविटेशन के माध्यम से ट्रेन चलाने के लिए भारतीय रेल मंत्रालय ने योजना बनाना प्रारंभ कर दिया है भारत में मैग्लेव ट्रेनों का निर्माण PPP मॉडल यानी Public Private Partnership के द्वारा किया जाएगा। जिसके लिए BHEL (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) ने स्विट्जरलैंड स्थित कंपनी स्विस रैपिड AG से समझौता भी कर लिया है भेल ने कहा कि यह समझौता “मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत” के अभियान को ध्यान में रखकर किए गए हैं जिसके बाद भेल स्विस रैपिड के साथ मिलकर काम करके मेगलेव रेल तकनीक को भारत में लाने का प्रयास करेगा।

Magnetic Levitation Train in sky
Maglev Train

मध्य प्रदेश स्थित इंदौर शहर के राजा रमन्ना प्रगत औद्योगिकी केंद्र (RRCAT) ने मैग्लेव ट्रेन का एक प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है जिसकी अधिकतम स्पीड 800 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है आरआर कैट के वैज्ञानिक शिंदे ने बताया कि 50 वैज्ञानिकों ने मिलकर 10 साल में यह प्रोटोटाइप तैयार किया है भारत में विकसित यह ट्रेन जमीन से लगभग 2 सेंटीमीटर ऊपर चलेगी और 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम होगी अब इंतजार बस भारतीय सरकार के द्वारा इस विषय में शोध की अनुमति मिलने का है।

 

देश में वंदे भारत व नमो भारत की वर्तमान स्थिति

देश में कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाने के लिए भारत सरकार पहले से ही इस विषय में कार्य करती रही है। सभी छोटे बड़े शहरों में पुरानी ट्रेनों को रिप्लेस करने के लिए वंदे भारत चलाई गई जिसे एक सफल प्रोजेक्ट भी माना जा रहा है हालांकि इसका किराया अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी अधिक है अब तक देश में कुल 34 वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दे दी गई है।

20 अक्टूबर 2023 को भारत में पहली रैपिड रेल नमो भारत को भी शुरू किया गया।  इसके द्वारा दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ मात्र 1 घंटे में पहुंचा जा सकेगा बता दें कि दिल्ली से मेरठ तक 82 किलोमीटर को 1 घंटे में तय करने वाली यह नमो भारत ट्रेन 210 की संख्या में निर्मित होनी है जिसमें से अभी पहली रेल लॉन्च की गई है।

RRCAT prototype for Magnetic Levitation Train in India
RRCAT Engineers

भारत में मेगलेव ट्रेन के समक्ष चुनौती 

Magnetic Levitation Train INDIA : मैग्लेव ट्रेन को चलाने का सपना आज से 100-150 साल पहले अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश देख चुके हैं उन्नत तकनीक एवं आर्थिक दृष्टि से संपन्न यह देश मैग्लेव ट्रेन चलाने में असफल रहे इसके पीछे मुख्य कारण लागत और तकनीक दोनों थे। आज के समय तक इन देशों ने मैग्लेव ट्रेन को विकसित तो कर लिया है परंतु अभी भी आम आदमी के लिए शुरू नहीं कर पाए हैं। वर्तमान में सिर्फ जापान और चीन ने मैग्लेव को कमर्शियल सर्विस के लिए चालू कर रखा है चीन मात्र 38 किलोमीटर के ट्रैक पर यह ट्रेन चलाता है जिसका 60% मेंटेनेंस सरकार को स्वयं करना पड़ता है।

भारत सरकार ने मेगलेव ट्रेन के लिए पहल तो शुरू कर दी है परंतु इसके निर्माण के लिए हमें काफी समय लगेगा। देश में 50 किलोमीटर के ट्रैक पर इस ट्रेन को चलाने की लागत 13000 करोड रुपए बताई गई है जो बहुत ज्यादा है इसमें भी मात्र ट्रेन का निर्माण और मेंटेनेंस है।  इसके अतिरिक्त विद्युत व जमीन का इंतजाम भी सरकार को अलग से करना पड़ेगा।

इन सब के बाद अगर देश में या ट्रेन शुरू भी हो जाती है तो इसके बजट का 60% किराया भी सरकार को ही देना होगा। ऐसे में मैग्लेव का आगामी 20-30 वर्षों में भारत आना मुश्किल प्रतीत होता है। उम्मीद है कि भेल के स्विस कंपनी से साथ हुए समझौते से निश्चित ही हमारे वैज्ञानिक इस  तकनीक को सीख कर किफायती दाम में  ट्रेन को चलाने का सफल प्रयास करेंगे।

Magnetic Levitation Train in tunnels
Maglev

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  1. Magnetic Levitation Train INDIA : जापान और चीन के बाद अब भारत में भी हवा में चलने वाली (चुंबक के माध्यम से) मैग्लेव ट्रेन नजर आ सकती है मैग्लेव शब्द मैग्नेटिक लैविटेशन से जुड़कर बना है यह ट्रेन पटरी के बजाय हवा में रहती है इसलिए मैग्नेटिक फील्ड (चुंबकीय प्रभाव क्षेत्र) से नियंत्रित की जा सकती है।
    भारत में मैगलेव ट्रेन के विकास के लिए इंदौर शहर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (RRCAT) ने एक प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया है जिसे अब भारतीय सरकार की मंजूरी मिलना बाकि है 600 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति वाली इन ट्रेनों को देश में दिल्ली से मुंबई, मुंबई से हैदराबाद और हैदराबाद से बेंगलुरु तक चलाने के विषय में विचार चल रहे हैं।

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