“Reason behind train accidents in India”
Reason behind train accidents in India : हिंदुस्तान के अंदर रेल हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं हर महीने कोई ना कोई बड़े ट्रेन भीषण हादसे का शिकार हो रही है वैसे तो सरकारी डाटा के अनुसार कांग्रेस के 9 सालों में 1400 से अधिक रेल हादसे हुए थे जो भाजपा के शासनकाल में घटकर 638 ही रह गए और वास्तविकता में ऐसा कोई अंतर प्रतीत नहीं होता।
2023 के बड़े रेल हादसे –
- पहली बड़ी दुर्घटना 2 जून 2023 को उड़ीसा के बालासौर में हुई, जहां ट्रेनों में एंटी कोलीजन सिस्टम एक्टिव ना होने के कारण तीन ट्रेन आपस में टकरा गई।
- दूसरा रेल हादसा 10 अक्टूबर को बिहार में हुआ, जिसमें दिल्ली से बिहार जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना में 21 बोगियाँ पटरी से बाहर हुई व तीन बोगी पूरी तरह से पलट गई।
- छिंदवाड़ा से देहरादून को चलने वाली पातालकोट एक्सप्रेस में 25 अक्टूबर को आग लग गई, जिसमें तीन कोच जलकर पूरी तरह राख हो गए। यह घटना आगरा के निकट हुई। हादसे में लोगों ने ट्रेन से कूद कर अपनी जान बचाई इस दुर्घटना में 13 यात्रियों के घायल होने की सूचना प्राप्त हुई है।
- 29 अक्टूबर को दो ट्रेन हादसे का शिकार बनी विशाखापट्टनम पलसा पैसेंजर व विशाखापट्टनम रायगढ़ पैसेंजर स्पेशल ट्रेन आपस में टकरा गई। दुर्घटना में 54 लोगों के घायल होने की खबर है।

लगातार हो रही रेल दुर्घटना की मुख्य वजह क्या है ?
Reason behind train accidents in India : भारत में एक विस्तृत और विशाल रेलवे नेटवर्क है, जिसे नियंत्रित करना कोई सामान्य बात नहीं है कभी तकनीकी तो कभी मानवीय भूल के कारण ट्रेन हादसे का शिकार बन जाती है। अतः सरकार को चाहिए कि बेहतर तकनीक वा एक अच्छे स्टाफ की मदद से इन बाधाओं को दूर कर यातायात को सुगम बनाए।
हमारे देश में आज भी अंग्रेजों द्वारा बिछाए गए ट्रैक पर ट्रेन दौड़ती है जो अब हद से ज्यादा पुराने हो चुके हैं इनमें अगर ट्रेन को थोड़ी भी तेज गति से चलाया जाए तो ट्रैक उखड़ जाते हैं और ट्रेन पलट जाती है। भारत एक बड़ा क्षेत्रफल और घनी आबादी वाला देश है जनसंख्या एवं क्षेत्र के हिसाब से ट्रेन ट्रैक बहुत कम है और इन पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा। जिस वजह से हमारी ट्रेन हमेशा समय से लेट होते रहती है और कभी सिग्नल मिस हुआ तो हादसे का शिकार बन जाती है।
Reason behind train accidents in India : कई बार देखा गया है कि बारिश और ठंड के मौसम में सिग्नल दूर से दिखाई नहीं पढ़ते या फिर कई बार मानवीय भूल के कारण भी देश में ट्रेन हादसे का शिकार बन जाती है बीते दिन विशाखापट्टनम में हुई ट्रेन घटना की मुख्य वजह यही थी। देश में कुल 13215 रेल इंजन है जिनमें से जून 2023 तक मात्र 121 कोच में ही एंटी- कोलाइजन सिस्टम एक्टिव है। जो अधिकतर ट्रेन हादसों की मुख्य वजह रही है।
एंटी कोलीजन सिस्टम : कवच सिग्नल के माध्यम से पता लगाकर पहले ही लोको पायलट को सूचित कर देता है और अगर कभी लोको पायलट ने फिर भी ट्रेन नहीं रोका तो यह सिस्टम स्वयं एक्टिवेट होकर निश्चित दूरी पर ट्रेनों को रोक देता है।

पिछले साल 4 मई 2022 को सिकंदराबाद में हुई रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेनों में एंटी कोलीजन सिस्टम कवच लाने की बात कही थी। सरकार के अनुसार वित्तीय वर्ष में कुल 5000 किलोमीटर के ट्रैक पर सिस्टम पूरा कर लिया जाना था जो कि अब तक मात्र 2000 किलोमीटर पर ही एक्टिव हो पाया है।
रेल हादसों को रोकने के लिए सरकार के प्रयास-
भारत सरकार इन हादसों को काम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है जिसकी पहल में की बड़े कदम उठाए गए जिन्हे हम नीचे पॉइंट्स के मध्यम से पढ़ेंगे। –
- भारत में सरकार बदलने के बाद से पिछले 9 वर्षों में सभी मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त किया गया।
- यातायात को सुरक्षित और आसान बनाने के लिए 763 नये रेलवे ओवरब्रिज बनाए गए।
- इलेक्ट्रिक इंजन की संख्या 33% से बढ़कर 90% तक की गई।
- प्रतिवर्ष 3616 किलोमीटर के हिसाब से पिछले 10 वर्षों में 37000 किलोमीटर से अधिक रेलवे पटरिया बिछाई गई।
- 98% स्टेशनों को मॉडर्न सिग्नल से जोड़ा गया ताकि मानवीय भूल को काफी हद तक काम किया जा सके।
- रेलवे बजट को 9 गुना तक बढ़ाया गया जिससे एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से यात्रियों को बेहतर व सुरक्षित यात्रा प्राप्त हो सके।

एंटी कोलीजन सिस्टम कवच काम कैसे करता है ?
मान लीजिए कोई लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) किसी सिग्नल को भूल वश पर कर लेता है तो यह सिस्टम स्वतः एक्टिवेट होकर पायलट को अलर्ट कर देता है। बावजूद इसके अगर पायलट ट्रेन नहीं रुकता है तो कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक का कंट्रोल भी अपने पास ले लेता है।
अब यदि सिस्टम को पता चलता है कि इस ट्रैक पर कोई अन्य ट्रेन आ रही है तो यह दोनों ट्रेनों को निश्चित दूरी पर रोक देता है जिससे दुर्घटना होने की संभावना बहुत हद तक काम हो जाती है।
कवच सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन ने बना कर तैयार किया है इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2012 से काम चल रहा था जिसे पूरा कर लिया गया है अब बस देरी सिस्टम को देश की सभी ट्रेन और ट्रैक पर एक्टिवेट करने की है।
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