Teachings of Guru Nanak Dev ji | गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं

Teachings of Guru Nanak Dev ji

 

Teachings of Guru Nanak Dev ji : सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म ननकाना साहिब पाकिस्तान में हुआ था गुरु नानक देव किसी पंथ/धर्म या अल्लाह पर विश्वास नहीं करते थे उन्होंने “मुसलमान या हिंदू जैसी कोई चीज नहीं है” कहकर एकेश्वर वादी सिद्धांत को बढ़ावा दिया।  सिख धर्म के दसों गुरु में प्रथम गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाएं गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित की है जो आज के आधुनिकता भरे युग में भी व्यक्ति को सरल और संपूर्ण जीवन जीने की राह दिखाती है।

 

Teachings of Guru Nanak Dev ji –

ईश्वर में आस्था

“हुकुम राज्य चलना नानक लिखे नाल” का संदेश देते हुए गुरु नानक देव जी ने बताया कि संसार में सब कुछ उस परम ईश्वर की कृपा से ही होता है अतः हमारे साथ जो कुछ भी अच्छा गलत हो रहा है उसे बिना किसी विरोध के स्वीकार करके भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

एक ओंकार – ईश्वर एक है

वर्तमान समय में पूरी दुनिया को धर्म के नाम पर बाँटा जा रहा है इस घटना को नानक देव ने पहले ही जानकर एकेश्वरवाद के  सिद्धांत को इजाद किया था। गुरुदेव के अनुसार परम ईश्वर एक ही है जिसका ना तो जन्म हुआ है और ना ही मृत्यु होगी वह रचयिता है और विध्वंशकारी भी। ईश्वर ब्रह्मांड की रचना से पहले भी सत्य था वर्तमान में भी सत्य है और आगे भी सत्य रहेगा।

कीरत करो

गुरु नानक देव पंथनिरपेक्ष दृष्टिकोण के थे तात्कालिक समय के दोनों बड़े धर्म हिंदू एवं मुस्लिम की कुरीतियां उन्हें रास नहीं आई। वे समाज के में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ थे गुरुदेव का मानना था कि व्यक्ति को सच्चा होना चाहिए और लगन से अपना कार्य करते करना चाहिए। कीरत करो अर्थात परम ईश्वर को धन्यवाद देते हुए अपने कार्य को करते रहो इससे जीवन में निश्चित रूप से आपको सफलता प्राप्त होगी।

वंड शाको

मिल बाँटकर खाओ गुरु नानक देव के अनुसार समाज के संपन्न लोगों का यह कर्तव्य है कि वह कमजोर लोग की मदद करें।  आपके पास जो कुछ भी है वह सब ईश्वर कर दिया हुआ है अतः लोगों की सेवा करना और सब के साथ कर मिल बाटकर खाना ही आपका धर्म है।

building in night
Gurudwara

नित सेवा करो

“प्रभु के लिए खुशी के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो और उनके सेवकों के सेवक बानो” सेवा सिख धर्म के मूल स्तंभों में से एक है नानक निस्वार्थ सेवा पर विश्वास करते थे उनका मानना था की प्रकृति की सेवा करके ही इंसान मुक्ति पा सकता है।  आज दुनिया के सभी गुरुद्वारों में लंगर इसीलिए लगाए जाते हैं ताकि उनके अनुयायी समान रूप से बिना कोई भेदभाव के लोगों की सेवा करके स्वयं को मुक्ति की राह की ओर ले जा सके।

महिलाओं का सम्मान करो

नानक देव तात्कालिक समय में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों का कड़ा विरोध करते थे उन्होंने महिलाओं को समानता एवं समाज में अच्छे स्थान दिलाने के लिए निरंतर कार्य किए।  गुरु नानक कहा करते थे “उसका अपमान क्यों करें जिसने दुनिया के राजसी राजाओं को जन्म दिया।”

ईश्वर सर्वव्यापी है

गुरु नानक देव मूर्ति पूजा के विरोधी थे उनका मानना था कि ईश्वर सर्वव्यापी है वह इस ब्रह्मांड के प्रत्येक कण-कण में निवास करता है। उनके अनुसार भगवान को पाने के लिए मंदिर-मस्जिद जाने की आवश्यकता नहीं है बस व्यक्ति को सच्चे मन से निस्वार्थ लोगों की सेवा करना चाहिए इससे वह परम अर्थ को प्राप्त कर सकता है।

दया और करुणा में आस्था रखो

नानक देव की दया और करुणा में गहरी आस्था थी उनके अनुसार दया और करुणा जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। नाना कहते थे कि कोई भी प्राणी कितना भी बुरा क्यों ना हो वह दया का पात्र है अतः हमें  उसे करुणा की दृष्टि से देखना चाहिए।

उद्देश्य पूर्ण जीवन जीओ

तनाव भरे जीवन में अगर आप कभी स्वयं को महत्वहीन  महसूस करें तो निश्चित रूप से आपको नानक देव के इन विचारों से सीख लेना चाहिए गुरु नानक देव जी कहते थे कि इस पृथ्वी पर जन्मे प्रत्येक जीव का कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है जीवन में सुख दुख का आना इस बात का संकेत है कि आप उद्देश्य प्राप्ति की ओर अग्रसर हैं तो बिना किसी चिंता की अपने कार्य को करते रहे।

golden temple

उत्पीड़न के खिलाफ रहो

नानक देव के अनुसार कितनी भी बुरी स्थिति क्यों ना हो बुराई के सामने कभी झुकना नहीं चाहिए। नानक देव कहते थे कि भगवान उन सभी जीवो की मदद करते हैं जो बुराई के खिलाफ दृढ़ निश्चय कर खड़े रहते हैं एक पंक्ति में नानक देव ने कहा है कि भगवान भी बाज से लड़ने वाली गोरिया का मार्गदर्शन करते हैं।

बुराइयों से दूर रहो

गुरु नानक देव जी ने मोक्ष प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करने वाली बुराइयों से सदैव दूर रहने का संदेश दिया है उनके अनुसार क्रोध, लोभ, मोह और वासना जैसी बुराई भ्रम की ओर ले जाती है और मोक्ष प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है अतः हमें उनसे दूर रहना चाहिए।

कर्मकांड का विरोध करो

उस समय समाज में कई कुरीतियां व्याप्त थी जिनके चलते आम इंसान का समाज में सर उठा कर जीना बेहद मुश्किल था। अतः नानक देव ने निराकार ईश्वर की आस्था पर बल दिया।  नानक तार्किकता पर विश्वास करते थे उनके अनुसार निराकार ईश्वर की सेवा कर मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।

समानता 

नानक देव का विश्वास था कि जब भगवान ने सभी जीवो को समान रूप से बनाया है तो फिर धर्म, जाति और लिंग के आधार पर उननमें भेदभाव भी नहीं किया जाना चाहिए।  प्रत्येक जीव को स्वतंत्रता से जीने का अधिकार रहता है हमें सभी जन को समान रूप से सम्मान देना चाहिए।

हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म –

  1. Whatsapp Channel
  2. Telegram
  3. News crowd (website)

Leave a Comment