1947 में देश आजाद होने के बाद सभी 565 रियासतों को भारत या पाकिस्तान में मिलने या फिर स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था।

तब जूनागढ़ के राजा ने पाकिस्तान देश में रियासत मिलाने की घोषणा कर दिया, जबकि यह क्षेत्र चारों ओर भारत से घिरा हुआ था।

जूनागढ़ में 80% आबादी भी हिंदू थी, इसके बावजूद 16 सितंबर 1947 को राजा ने पाकिस्तान में जूनागढ़ का विलय कर लिया।

पाकिस्तान ने एलान किया कि जूनागढ़ अब हमारा क्षेत्र है भारत जूनागढ़ से सारे लेन देन समाप्त कर दे।

इसके बाद जूनागढ़ के हालात बिगड़ने लगे, व्यापार ठप हो गया लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा।

इससे क्रोधित होकर लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। फैसले के विरोध में आरझी हुकूमत नाम से समिति बनाई गई।

आरझी हुकूमत के विरोध से घबराकर नवाब पाकिस्तान भाग गया और 40 दिनों के अंदर इस समिति ने जूनागढ़ को अपने नियंत्रण में ले लिया।

भारत में बढ़ते विद्रोह को देखते हुए पाकिस्तानी शाहनवाज  भुट्टो ने भारत सरकार से अपील किया की जूनागढ़ को भारत में मिला लिया जाए।

जिसके बाद जूनागढ़ का भारत देश में विलय किया गया, और तब से ही प्रतिवर्ष 9 नवंबर को जूनागढ़ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। 

नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाएं, जो हर किसी को पता होना चाहिए।