World’s largest religious Yagya
साकेत वासी श्री श्री 1008 कनक बिहारी दास जी महाराज की असीम कृपा से समस्त रघुवंशी समाज द्वारा श्री राम की नगरी अयोध्या में महायज्ञ होने जा रहा है यह अनुष्ठान अयोध्या स्थित बड़ी छावनी में 10 से 18 फरवरी के दौरान संपन्न होगा प्रारंभ में इस विराट यज्ञ का लक्ष्य 9009 कुंड में करने का रखा गया था परंतु, महाराज श्री का साकेत गमन हो जाने के कारण रघुवंशी समाज को एक असहनीय क्षति लगी जिसके बाद इस धार्मिक अनुष्ठान को 2121 कुंड के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
27 नवंबर को शंखनाद से शुरू हुई तैयारियां –
पावन नगरी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस यज्ञ में विश्व का कल्याण हो मनोकामना के साथ रघुवंशी समाज द्वारा आहुतियाँ छोड़ी जाएगी जिसका शंखनाद 27 नवंबर को बड़ी छावनी में हो चुका है। साथ ही मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा लखन दास जी की मौजूदगी में ध्वजारोहण कार्यक्रम भी पूरा किया गया। विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने महाराज श्री से चर्चा करके अनुष्ठान में हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है साथ ही तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष में नृत्यगोपाल दास जी महाराज ने भी यज्ञ के संदर्भ में कनकबिहारी दास जी महाराज से प्रसन्नता व्यक्त की।
महायज्ञ की सफलता के लिए हो रही विशेष व्यवस्थाएं –
- इस धार्मिक अनुष्ठान के लिए सरयू नदी के तट पर 30 एकड़ की भूमि को सुनिश्चित कर लिया गया है।
- 2121 कुंडीय श्रीराम महायज्ञ की मुख्य वेदी का निर्माण 9 मंजिलो में होगा।
- यजमानों के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बुक की गई हैं तथा यज्ञशाला क्षेत्र में टेंट सिटी का निर्माण भी किया जाएगा।
- यज्ञस्थली पर प्रतिदिन भोजन व प्रसादी की व्यवस्थाएं नियमित रूप से चलेगी।
- भीड़भाड़ में आपत्तिजनक स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल और मंदिर के सेवक मौजूद रहेंगे।
- भारतवर्ष के सभी बड़े साधु महंत इस पवित्र कार्यक्रम में अपनी उपलब्धि दर्ज करेंगे।
- 9 दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक महायज्ञ में जगतगुरु रामस्वरूप आचार्य जी महाराज चित्रकूट के द्वारा संगीतमय राम कथा का प्रवचन भी किया जाएगा।
संवाददाता से बातचीत के दौरान राम मंदिर समिति लोनी कलां के सदस्य डॉक्टर रामनरेश रघुवंशी ने बताया कि श्री श्री 1008 कनक दास जी महाराज इससे पहले भी कई बड़े यज्ञ संपन्न कर चुके हैं महाराज श्री ने सर्वप्रथम 1008 कुंडीय विशाल महायज्ञ उनकी तपोस्थली ग्राम लोनी कलां में कराया था, जिसके बाद ही उन्हें नृत्यगोपालदास जी महाराज द्वारा यज्ञ सम्राट की उपाधि दी गई थी। इसी क्रम में कनक बिहारी महाराज ने 1111 कुंडीय महायज्ञ विदिशा के नटेरन में तथा 1212 कुंडीय यज्ञ अशोक नगर में भी सफलतापूर्वक संपन्न कराए थे।
इन यज्ञ में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया आशीर्वाद लेने पहुंचे तथा वहां की व्यवस्था को देखकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा भी था कि यह पहले ऐसे बड़े आयोजन है जो बिना किसी सरकारी सहायता के भी इतने बड़े प्रारूप में सफल हो रहे हैं।
बद्रीनारायण से मिली विश्व के सबसे बड़े धार्मिक यज्ञ की प्रेरणा –
श्री कनक बिहारी दास जी महाराज ने बताया कि करीब 2 वर्ष पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्वयं भगवान बद्री नारायण ने उनके स्वप्न में आकर 9009 कुंडीय महायज्ञ करने की इच्छा व्यक्त की थी इसके बाद से ही कनक बिहारी दास जी महाराज इस धार्मिक कार्य में जुट गए और उन्होंने घोषणा की कि वे राम मंदिर निर्माण कार्य में 100 करोड रुपए का दान देने के साथ विशाल 9009 कुंडीय महायज्ञ करेंगे। महाराज श्री राम मंदिर निर्माण कार्य के लिए पहले भी 1 करोड़ 11 लाख रुपए का दान दे चुके हैं।
हालांकि साकेत गमन होने के कारण महाराज श्री की 100 करोड रुपए का दान और 9009 कुंडीय यज्ञ की इच्छा तो पूरी नहीं हो पाई पर रघुवंशी समाज ने मिलकर 2121 कुंडीय यज्ञ करने का फैसला किया है यह भी अब तक एक विशाल धार्मिक यज्ञ होने वाला है।
कुछ बातें यज्ञ सम्राट कनक बिहारी जी के बारे मे –
कनक बिहारी दास जी महाराज का जन्म मध्य प्रदेश स्थित विदिशा जिले के खेराई गांव में हुआ था उनके पिता परसराम रघुवंशी गांव के संपन्न मालगुजार थे बचपन में उनका नाम कमोद सिंह रखा गया था। गांव के बाहर सत्संग कर रहे श्री सीताराम दास की वाणी से प्रभावित होकर कमोद सिंह ने 11 वर्ष की आयु में अपना गृह त्याग दिया और भगवान के दर्शन हेतु निकल पड़े।
विदिशा से निकलकर महाराज होशंगाबाद (नर्मदापुरम) पहुंचे वहां उन्होंने अपने साथ लाया सारा सामान नर्मदा जी में विसर्जित कर दिया और श्री कमल दास जी की सेवा कर पुण्य प्राप्त किया। इसके बाद वे राजस्थान के जंगलों की ओर चले गए घने वनों में कंदमूल खाकर महाराज ने 3 वर्षों की कठिन तपस्या की और फिर जनकपुर होते हुए बिहार पहुंचे।
बिहार राज्य में भी 3 वर्ष की तपस्या के बाद भी पुनः मध्य प्रदेश पहुंचे वर्ष 1980 में गुरुदेव छिंदवाड़ा जिले के चाँद नगर में कुलबेहरा नदी तट पर तपस्या करने लगे भक्तों के बहुत निवेदन के पश्चात एक दिवस के लिए महाराज ग्राम लोनीकलां आए और फिर हमेशा के लिए वही बस गए।
ग्राम लोनी कला में गुरुदेव ने संन्यास लेकर अपनी धूनी जमाई उन्होंने रघुवंशी समाज की मदद से गांव में मंदिर, आश्रम, गौशाला का निर्माण कराया एवं कई बड़े यज्ञ संपन्न कराए। इस तरह गुरुदेव ने रघुवंशी समाज को एक धागे में पिरोया रखा। आज भी प्रतिवर्ष ग्राम लोनीकलां में श्रावण मास के समय महरुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है।
World’s largest religious Yagya conclusion –
इस धार्मिक महायज्ञ के संकल्प को पूरा करने के लिए संपूर्ण रघुवंशी समाज एकजुट हुआ है यज्ञ के दौरान अयोध्या नगरी में महाकुंभ जैसी स्थितियां बनेंगी। सभी प्रमुख साधु महंतों के मार्गदर्शन में यह कार्य किया जा रहा है साकेत वासी श्री कनक बिहारी दास जी महाराज के उत्तराधिकारी श्याम दास जी महाराज भी यजमान बनाने में सक्रिय रूप से कार्यरत् हैं।
श्री राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा के बाद विश्व का कल्याण हो के उद्देश्य से छोड़ी जा रही आहुतियां से श्री राम नाम की गूंज सम्पूर्ण विश्व पटल पर गुंजायमान होगी। निर्माण अधीन मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर संपन्न होने वाला यह धार्मिक अनुष्ठान निश्चित रूप से समस्त जीवों के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा।